शहर में यातायात व्यवस्था बदहाल:
मुरैना। मुरैना शहर में वर्षों से यातायात व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। यहां पर बैरियर से स्टेशन रोड तक महज 3 किमी की दूरी होने के बावजूद भी यहां पर वैरियर से स्टेशन रोड पहुंचने में 15 मिनिट से लेकर आधा घण्टा तक लग सकता है। ऐसा इसलिए नहीं है कि यहां पर सड़क नहीं है बल्कि ऐसा इसलिए है क्यों कि सड़क पर आवारा गौवंश के विचरण करने तथा बैठे होने से सड़क पर यातायात बाधित होता है तथा लोगों को कभी भी दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है। सड़क पर बैठे इन आवारा गौवंश के कारण यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है। इसी के चलते जाम की स्थिति निर्मित होती है। रही कसर यह ई-रिक्शा और सड़क किनारे लगे हाथ ठेले वाले पूरा कर देते हैं। वहीं नगर निगम का ध्यान अस्थाई अतिक्रमण हटाने की तरफ भी नहीं है। सड़कों पर फैले अस्थाई अतिक्रमण को अगर हटवा दिया जाये तो थोड़ा रास्ता निकलने में सहूलियत होगी्र। वनखण्डी रोड काफी चौड़ी होने के बावजूद वहां पर आवारा गौवंश कचरे के ढेर पर एकत्रित हो जाते हैं और वहीं पर दंगल शुरू हो जाता है। इनके दंगल को देख रास्ता निकल रहे लोगों की सांसे थम जाती हैं जब वह देखते हैं कि आपस में गौवंश जोरआजमाइस कर रहे हैं तो वहां पर रास्ता निकलना लोग बंद कर देते हैं और जाम की स्थिति निर्मित होती है। वहीं अस्थाई अतिक्रमण भी दुकानदारों द्वारा सड़क पर किया गया है। 10-10 फीट तक किए गए इस अतिक्रमण से सड़क की चौड़ाई काफी कम रह जाती है और उसपर भी मोटरसाईकिलें, हाथठेले जगह-जगह खड़े रहते हैं जिससे वनखण्डी रोड से निकलना मुश्किल हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि शहर में अतिक्रमण मुहिम को चले लगभग एक वर्ष हो गया है शहर में स्थिति फिर से बदहाल है। अगर निगम अमले द्वारा अतिक्रमण विरोधी मुहिम चलाई जाए तो थोड़ा शहर की जनता को राहत मिल सके। शहर में अभी कहीं भी आप नजर उठा कर देख लो आवारा गौवंश की भरमार है। निगम द्वारा इन आवारा गौवंश का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। इन गौवंशों के कारण लोगों को कभी-कभी या कहें आये दिन लोगों को किसी न किसी दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। कभी-कभी तो यह लोगों पर भी हमला कर देते हैं जिससे उन्हें अपनी जान तक के लाले पड़ जाते हैं। कई लोग इन आवारा गौवंश के हमले से जख्मी हो गये हैं और अपना ईलाज कराना पड़ा है। कभी हाथ पैक्चर हो गया तो कभी पैर फैक्चर हो गया तो किसी की कूल्हे की हड्डी में फैक्चर हो गया तो किसी के पसली में फैक्चर हो गया। कईयों वृद्धों को तो अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा है। पर इन आवारा गौवंश का कोई स्थाई समाधान नगर निगम के पास नहीं है। आखिर इन आवारा गौवंश को लेकर नगर निगम गंभीर क्यों नहीं है इसके पीछे क्या कारण है यह तो चिंता का विषय है।