शादी समारोह न होने से रोजी-रोटी को तरसता मिट्टी कारीगर
-शासन से मदद की गुहार-
-राधाकृष्ण सिंघल-
कैलारस/मुरैना। मिट्टी के वर्तन बनाकर बाजार में बिक्री कर अपने परिवार की उदर पूर्ति करने बाले कारीगर इस बार लॉक डाउन के चलते शादी समारोह न होने की बजह से रोजी- रोटी के लिए तरस रहा हंै। विदित हो कि मार्च से जून के महीने तक मिट्टी के बर्तन बेचने वाले यह कारीगर शादी समारोह में बर्तनों की सप्लाई कर तथा गर्मी के सीजन में घडों की बिक्री से वर्ष भर की रोजी-रोटी की व्यवस्था कर लिया करते थे, किंतु मार्च माह से ही सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाये जाने की वजह से इनका व्यवसाय पूरी तरह से ठप रहा है।
उल्लेखनीय है कि देश में फैली महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन के चलते शादी समारोह शासन द्वारा बंद कराए गए, जिस वजह से इनके द्वारा मेहनत कर मटका, कुल्हड, सरैया, गुल्लक, सुराई, दीपक, गमला आदि सामान तो बना लिया किन्तु मिट्टी के ये बर्तन इस बार नहीं बिके, वहीं कोरोना संक्रमण के कारण इस बार पिछले वर्ष की तुलना में 10' ही घडों की बिक्री हुई है। जिस वजह से इन कारीगरों के भूखे मरने की नौबत आ गई है। मिट्टी के बर्तन बेचने वाले व्यवसायियों ने मध्यप्रदेश शासन से गुहार लगाई है कि उन्हें सरकार द्वारा मदद प्रदान की जाए जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। कारीगर प्रकाश प्रजापति का कहना है कि वे मिट्टी व ईंधन खरीदकर लाते है और मेहनत कर मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते है तब अपने परिवार का बडी मुश्किल से पालन-पोषण कर पाते हैं इस मौसम में पिछले वर्ष तक हम 500 से 600 रुपये प्रतिदिन लागत निकालकर कमा लिया करते थे लेकिन इस बार तो मिट्टी के बर्तन बिके ही नहीं हैं मुश्किल से अब 200 रुपये की दिन भर में दुकानदारी हो रही है जिसमें लागत भी शमिल है। विशेष बात यह है कि प्रकाश के परिवार में 10 सदस्य हंै, उन्हें शासन से भी कोई मदद नहीं मिली है। इसी प्रकार क्षेत्र में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले सेकडों परिवार इस समय रोजी-रोटी के लिए परेशान है। वर्तमान समय में इन परिवारों को मदद की बेहद जरूरत है।