ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे केंद्रीय मंत्राल


 


66 लाख स्वयं सहायता समूहों के विशाल नेटवर्क का होगा बेहतर उपयोग


ग्रामीण विकास मंत्री श्री तोमर व जनजातीय कार्य मंत्री श्री मुंडा की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन


नई दिल्ली, 18 अगस्त 2020। भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर वर्ग तक पहुंचाने के साथ ही आजीविका बढ़ाने के लिए संबंधित केंद्रीय मंत्रालय समन्वय के साथ अग्रसर होंगे। मंगलवार को इन मंत्रालयों की योजनाओं के तालमेल के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक विकास के लिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) प्लेटफार्म का लाभ उठाने के संबंध में वेबिनार हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की मौजूदगी में दोनों मंत्रालयों के बीच, जनजातीय क्षेत्रों में संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी साइन किया गया। वेबिनार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरूता, संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी, राज्यों के ग्रामीण आजीविका मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी उपस्थित थे। 


केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री तोमर ने इस अवसर पर कहा कि गरीबी उन्मूलन भारत सरकार की प्राथमिकता है। देश के कमजोर और गरीब वर्ग की शक्ति को एक सूत्र में पिरोकर इसका सदुपयोग किया जाएं तो राष्ट्रहित में बड़े सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। सभी मंत्रालय मिलकर ग्रामीण, जनजातीय, महिला और कमजोर वर्गों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए एकजुट हैं। ग्रामीण गरीबों के जीवन में बदलाव लाने, उनका जीवन आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार निरंतर प्रयासरत है। पिछले 6 वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे अभियानों से आमूलचूल परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज में खाद्य प्रसंस्करण को प्राथमिकता दी है। आज ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय के मध्य जो एमओयू साइन हुआ है, उसमें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का भी सहयोग रहेगा, जिससे ग्रामीण आजीविका के नए आयाम सामने आएंगे। 


श्री तोमर ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग तो मिलता है, लेकिन उनके उत्पादों के वेल्यू ऐडिशन और बाजार मिलने की समस्याएं आती हैं। उन्होंने व्यक्त करते हुए कहा कि अब, जबकि सभी मंत्रालय मिलकर काम करेंगे तो ये कार्य आसान हो सकेगा। श्री तोमर ने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से देश में 66 लाख स्वयं सहायता समूह बनाकर 7.14 करोड़ परिवारों का नेटवर्क तैयार करने में मदद मिली है। स्वयं सहायता समूहों की बहनों ने कोविड-19 संकट के दौर में सभी की अपेक्षा से बहुत आगे बढ़कर योगदान दिया है। इनके द्वारा बनाए मास्क व सैनेटाइजर का उपयोग देशभर में कोरोना संक्रमण से बचाव में किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्रालयों के आपसी तालमेल से स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को उत्पादक परिसंपत्त्यिों के निर्माण, प्रशिक्षण व विपणन के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सहायता मिलेगी। श्री तोमर ने कहा कि आम तौर पर यह माना जाता है कि कमजोर वर्ग को दिया गया बैंक ऋण वापस नहीं होता है, लेकिन यह तथ्य पूर्ण रूप से सही नहीं है। 66 लाख स्वयं सहायता समूहों को अभी तक 3 लाख करोड़ रूपए कर्ज मिला है, जबकि उनका एनपीए बहुत कम है। 


केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन, ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक नया अध्याय है। मंत्रालयों के आपसी समन्वय से ग्रामीण उत्पादक और बाजार के बीच की गेप आसानी से कम की जा सकेगी। केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत ने हाल ही में लांच की गई प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के विषय में चर्चा करते हुए देश में सूक्ष्म खाद्य उद्यमों की स्थापना पर बल दिया। उन्होंने कहा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के माध्यम से देश में एक सशक्त फूड वेल्यू चैन विकसित हो सकती है। श्रीमती हरसिमरत कौर ने कहा कि महिला स्वसहायता समूहों का उपयोग इस दिशा मे करके उनकी आजीविका के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं।


कहा कि राज्य सरकारों को दूसरे राज्यों के उत्पादों को अपने यहां बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करना चाहिए। एक जिला-एक उत्पाद योजना को भी आगे बढ़ाने पर कार्य किया जाएगा। सभी विभाग मिलकर गांवों के स्तर पर प्रशिक्षण की योजना बनाएं ताकि ग्रामीणों को उनके उत्पादों की प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक की सारी जानकारी समग्र रूप से मिल सकें। राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह एवं साध्वी निरंजन ज्योति ने भी विचार रखे। कार्यशाला में कृषि आजीविका (रणनीति तथा अभिसरण रूपरेखा) पुस्तक का विमोचन भी किया गया।


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