किसानों की आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति के लिये उन्हें आधुनिक उन्नत फसलों को अपनाने के लिये नवाचार करें: चंबल कमिश्नर
चंबल कमिश्नर श्री मिश्रा ने कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य विभाग के अधिकारियों को दिये निर्देश
मुरैना 19 अगस्त 2020/ किसानों की आर्थिक सामाजिक उन्नति के लिये उन्हें आधुनिक उन्नत फसलों को अपनाने के लिये नवाचारों को करने की आवश्यकता है। उद्यानिकी के क्षेत्र में उन्नत फसलों को लेने की अपार संभावनायें है। किसानों को कृषि के अतिरिक्त उन्नत पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन के लिये प्रेरित किया जाये। उद्यानिकी और कृषि के क्षेत्र में उन्नत फसलों के लिये रकवा बढ़ाने के प्रयास किये जाये।
यह निर्देश चंबल संभाग के कमिश्नर श्री रबीन्द्र कुमार मिश्रा ने कृषि उत्पादन आयुक्त से जुड़े कृषि, उद्यानिकी डेयरी, पशुपालन, मत्स्य और सहकारिता विभागों के अधिकारियों को दिये। कमिश्नर श्री मिश्रा ने कहा कि इन विभागों से जुड़े सभी अधिकारी किसानों को पर्याप्त मार्केटिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें। प्रत्येक विभाग जिला स्तर पर आॅनलाइन शाॅपिंग प्लेटफार्म को उपलब्ध करायें, ताकि किसान अपने प्रोडेक्ट का विक्रय आॅनलाइन कर सकें। कृषकों को आॅनलाइन के जरिये विभागों की जानकारियों, तकनीकी की सलाह तथा फसलों को बचाने के उपाये भी दिये जा सके। उन्होंने इन पांचों विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्यो के अतिरिक्त कुछ ऐसे नवाचार तैयार करंे, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। उन्होंने कहा कि हमें किसानों के खेतों को फायदा का धंधा बनाना है। जिससे वे अपनी आमदनी को दोगुना बढ़ा सकें। इसके लिये किसाना को तकनीकी उन्नत खेती के लिये नये नवाचार करना होंगे। किसानों को उनकी चैपाल पर कृषि संबंधी तकनीकी ज्ञान दें, इसके लिये संगोष्ठियां की जायें। उन्होंने उद्यानिक की फसलों को रकवा 10 प्रतिशत बढ़ाने के साथ ही 10 प्रतिशत उद्यानिकी उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। कमिश्नर ने श्योपुर जिले की प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा कि वहां के अधिकारी अन्य स्थान पर पोस्टिंग करने के लिये वरिष्ठ कार्यालयों को पत्र लिखने के निर्देश दिये।
चंबल कमिश्नर श्री मिश्रा माह के तृतीय बुधवार को अपने सभाकक्ष में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, बीज सहकारिता और खाद्य आपूर्ति विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में अपर आयुक्त श्री अशोक कुमार चैहान, संयुक्त आयुक्त विकास श्री राजेन्द्र सिंह सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
कृषि विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुये चंबल कमिश्नर श्री मिश्रा ने कहा कि प्रत्येक योजनाओं में शत्प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित हो। कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र में और अधिक रकवा बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पेप्टीसाइड़ (कीटनाशक दवाईयांे) के लगातार सैम्पल लेते रहे। कमिश्नर ने कहा कि जैसे ही खाद, बीज कीटनाशक दवाईयों के सैम्पल जांच उपरान्त अमानक पाये गये तो उन व्यापारियों के खिलाफ सीधे एफ.आई.आर. दर्ज की जाये। कमिश्नर ने कृषि, उद्यानिकी से जुड़े अधिकारियों से कहा कि किसानों की समुचित व्यवस्थाओं के लिये हर संभव प्रयास हो, वर्तमान समय में किसानों के लिये पीक टाइम है। किसानों कीे इन्ही दिनों में खाद्य बीज और कीटनाशक दवाईयों की आवश्यकता पड़ेगी। यह सभी चीजें उचित गुणवत्ता के साथ किसानों को आसानी से उपलब्ध हो जाये। उन्होंने कहा कि किसान खाद बीज के लिये भटकना नहीं पड़े। उन्होंने उर्वरक 1 लाख 21 हजार 250 मैट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध 84 हजार 985 मैट्रिक टन ही भण्डारण किया है। इसमें से अभी तक 56 हजार 825 मैट्रिक टन उर्वरकों का वितरण हो गया है।
उद्यानिकी विभाग की समीक्षा करते हुये कमिश्नर ने कहा कि उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देकर कृषकांे की आय में 2 से 5 गुनी वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने किसानों को उन्नत पारंपरिक खेती के साथ फलों, मसाले, मिर्च, आयुर्वेदिक दवाईयों का उत्पादन कराने पर जोर दिया। जिससे उनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्तर सुधर सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि फूड्स बेजीटेबिल में कई प्रकार की बैरायटियां है, इसी तरह ब्रोकल सेजना की पत्तियां आयुर्वेद दवाईयों की प्रोसेसिंग करालें तो इनका कई गुना वेल्यू बढ़ जाती है। उन्होंने बेजीटेबिल सहित फल-फूल की बिन्डोसोपिंग को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। कमिश्नर ने कहा कि माइक्रो इरीगेशन पद्धति के उपयोग को बढ़ावा देकर कम पानी से अधिक उत्पादन कर आय में वृद्धि की जा सकती है।
उन्होंने उद्यानिकी के क्षेत्र में संरक्षित खेती, शोभायमान, पुष्प लीची, काजू, स्टावेरी जैसे केश, क्रोप पर ध्यान देने के साथ अन्य उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देकर उद्यानिकी को उद्योग के रूप में स्थापित करने पर भी जोर दिया। कमिश्नर ने कृषि से जुड़ी रोपड़ियों के विस्तार करने, इनमें सोलर लाइट, पानी की व्यवस्था के लिये स्टाॅप डेम सहित अन्य समुचित व्यवस्थायें करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि भिण्ड जिले में पहली बार डच रोज की खेती कृषकों द्वारा पाॅलीहाउस में प्रारंभ की है। उन्होंने पाॅलीहाउस स्थापित करने वाले कृषकांे की मदद करने पर भी जोर दिया। उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो, अगर पाॅलीहाउस के किसानों को कहीं कोई दिक्कत आती है तो मैदानी अमला इसके लिये जिम्मेदार होगा।
पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुये कमिश्नर ने कहा कि जरूरत मंद किसानों को उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध करायें, ताकि उन्हें कृषि के अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो। उन्होंने पशुओं के उचित उपचार उनके वेक्सीनेशन करने पर जोर दिया।
कमिश्नर ने मौके पर कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और मत्स्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि आपसी समन्वय बनाकर प्रत्येक ब्लाॅक के एक-एक गांव में अपनी समस्त विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन करके आइडियल माॅडल गांव बनाये। इन गांव में आयुक्त कृषि उत्पादन की समस्त एक्टीविटीज हो, पूरे कम्पोनेन्ट लागू हो। कमिश्नर ने नव-निर्मित सभी गौशालाओं को संचालित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि गौशालाओं का संचालन ऐसे हाथों में दिया जाये, जो गौशालाओं को उन्नत बना सकें।
मत्स्य विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुये कमिश्नर ने कहा कि किसानों को उद्यानिकी, पशुपालन के साथ-साथ मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये भी प्रेरित किया जाये। उन्होंने बड़ी-बड़ी माईन्स से बन रहे तालाबों को राजस्व दस्तावेजों में इन्द्राज कराने के लिये कलेक्टरों को पत्र लिखने के भी निर्देश दिये ताकि इन माइन्स के तालाबों में स्थानीय स्तर पर मत्स्य पालन किया जा सके। कमिश्नर ने ब्रोन मछली के पैदावार करने पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी तालावों को पट्टे पर देने के भी निर्देश दिये।
समीक्षा के दौरान बताया गया कि जिले में 727 ग्रामीण तालाबा और 20 सिंचाई के जलाशय है, इन सभी का जल क्षेत्र 6 हजार 392 हेक्टेयर क्षेत्र है। इनमें से 607 ग्रामीण तालाबों में और 20 सिंचाई तालाबों में जिनका जल क्षेत्र 6 हजार 267 है, में मत्स्य पालन किया जा रहा है। जिले में इस वर्ष 4 हजार 113 मैट्रिक टन मछली का उत्पादन लक्ष्य प्रस्तावित है। इसमें से अभी तक 657.57 मैट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ है। बैठक में उचित मूल्य दुकानों से प्रदाय किये जाने वाले खाद्यान्न की भी समीक्षा की गई।