कृषक उत्पादक संगठनों एवं संवर्धन परिचालन संबंधी बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता में संपन्न
मुरैना में 12 कृषि उत्पादक संगठनों पर सहमति
मुरैना 20 अगस्त 2020/ कृषक उत्पादक संगठन पर मुरैना जिले के समस्त विकासखण्डों में नये कृषक उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) के बनने की तिथि से 5 वर्ष तक नाबार्ड द्वारा हैंड होल्डिंग सपोर्ट प्रदान किया जाना है। जिसमें नये कृषक उत्पादक संगठन कंपनीज एक्ट 9ए अथवा सहकारी समितियां एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत किये जा सकेंगे। मुरैना जिले के लिये कृषि क्षेत्र में 10 कार्यो को प्राथमिकता दी जायेगी। यह बात कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने गुरूवार को जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में कही। इस अवसर पर जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड श्री अमित चैहान, एलडीएम श्री कर्नल कुमार, उप संचालक कृषि श्री पी.सी. पटेल, उद्यानिकी, बैटनरी, मत्स्य विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने बताया कि कृषक उत्पादक संगठनों एवं परिचालन हेतु कृषि उत्पादक संगठनों में न्यूनतम 300 किसान सदस्यों का एक समूह होगा। जिसका उद्देश्य कृषि उत्पाद का विपणन, संवर्धन, ब्राडिंग, सदस्य किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना कृषि उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना व कृषि कार्य में नये तकनीकी का उपयोग करना, कृषि संगठनों के विकास की प्रक्रिया और प्रगति को माॅनीटरिंग करना व इस प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करना रहेगा।
कलेक्टर ने बताया कि कृषि उत्पाद संगठन के गठन हेतु कृषि उपज सरसों, बाजरा, आलू, अमरूद, तिल, लाल मिर्ची, शहद, दुग्ध, परिस्क्रित चिकिन, पशु आहार व जैविक खाद का चयन किया गया है। जिसके तहत जिले के सभी विकासखण्डों में कुल 12 कृषि उत्पादक संगठनों के गठन का निर्णय लिया गया है। कलेक्टर द्वारा उक्त संगठन के क्रियान्वयन हेतु योग्य 30 कृषकों का चयन कर उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था कृषि विज्ञान केन्द्र मुरैना में 28 अगस्त को की गई है, जिसमें जिला स्तरीय निगरानी समिति (डीएमसी) के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। कलेक्टर ने बताया कि इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं डीपीएम भी उपस्थित रहेंगे। जो उनके क्षेत्र में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को इसके लिये अधिकतम संख्या में इस गतिविधियों में जोड़ेंगे। प्रशिक्षण उपरान्त उपरोक्त योग्य 30 कृषक आगे स्थानीय स्तर पर अन्य किसानों को इसका लाभ बतायेंगें व अधिकतम किसानों को कृषि उत्पाद संगठन से जोडें़ेगे।
कलेक्टर ने बताया कि सभी ब्लाॅकों में सरसों उगाई जाती है, इसलिये प्रत्येक ब्लाॅक में एक-एक एफपीओ बनाये जायंेगे। जो कम से कम स्नातक होने चाहिये। उन्होंने बताया कि कम्युनिटी बेस्ड बिजनेस आॅर्गेनाइजेशन (सी.बी.बी.ओ.), प्रोड्यूस क्लस्टर एरिया की पहचान हेतु जिला स्तरीय अनु प्रवर्तन समिति (डी-एमसी) को इनपुट प्रदान करेगा साथ ही डायग्नोस्टिक स्टडी, बेसलाइन सर्वे तथा बिजनेस प्लान बनाने में भी मदद करेगा। कम से कम 300 सदस्य के साथ कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाने पर इस योजना के अंतर्गत पात्रता होगी। 15 से 20 सदस्यों के फार्मर इंटरेस्ट गु्रप (एफ.आई.जी.) ग्राम स्तर पर बनाये जा सकते है। ऐसे 20 या अधिक ग्रुप मिलकर एफपीओ का निर्माण करेंगे। कलेक्टर ने बताया कि ब्लाॅक में एक कृषि उत्पाद संघ सरसों, बाजरा तिल हेतु गठन किया जाये, जबकि शहद का गढ़ हेतु सबलगढ़, कैलारस और मुरैना का चयन किया गया है। इसी प्रकार चिकिन हेतु कैलारस, जैविक खाद हेतु देवरी मुरैना, आलू हेतु पोरसा व लाल मिर्ची हेतु मुरैना को चयन किया गया है।
10 हजार कृषक उत्पादक संगठनों का निर्माण एवं संवर्धन परिचालन हेतु दिशा निर्देश
हर विकासखण्ड में औसतन 2 कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाने का प्रयास किया जाना चाहिये। जिला राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर बनाये गये कृषक उत्पादक संगठनों के फेडरेशन बनाये जा सकते है। ऐसे वर्तमान कृषक उत्पादक संगठन जिन्होंने भारत सरकार की किसी अन्य योजना में अभी तक लाभ प्राप्त नहीं किया है, वह भी इस योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त कर सकते है। बशर्ते उन्होंने अभी परिचालन शुरू ना किया हो। आरंक्षित रूप से देश भर में 10 हजार नये कृषक उत्पादक संगठन आने वाले 5 वर्षो में बनाने के लिये तीन कार्यान्वयन नाबार्ड, एस.एफ.एसी और एनसीडीसी एजेन्सियांे की पहचान की गई है।
जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड श्री अमित चैहान ने बताया कि कृषि उत्पाद संगठन के संचालन हेतु नाबार्ड द्वारा प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराई जायेगी तथा समय-समय पर संगठनों व इससे जुड़े कृषकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायेंगे।