हैतलवार का घाव मिट जाता है किन्तु शब्दों से चला घाव सदियों तक नहीं मिटता: मुनिश्री


ग्वालियर/ दतिया सोनागिर-शब्दों का संसार बहुत अद्भुत है। शब्दों में एक चमत्कार है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन शब्दों से स्वर्ग का निर्माण करते हैं या नरक जैसी स्थिति पैदा करते हैं। तलवार का घाव मिट जाता है किन्तु शब्दों से चला घाव सदियों तक नहीं मिटता। यह विचार क्रांतिकारी मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने बुधवार को सोनागिर स्थित आचार्यश्री पुष्पदंत सभागृह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही!


मुनिश्री ने कहा कि विवेक ही धर्म है। हर क्रिया में विवेक हो-कैसे चलें, कैसे खाएं, कैसे बोलें-बोलने का भी विवेक होना चाहिए। बोलना एक कला है ज्यादा बोलने वाला किसी को अच्छा नहीं लगता। कोई उसके पास बैठना पसंद नहीं करता और कम बोलने वाला सबको प्रिय लगता है। उसके शब्दों का बड़ा मूल्य होता है। 


घर की लड़ाई-झगड़े का कारण ही वाणी होता है।


मुनिश्री ने कहा कि घर की लड़ाई-झगड़े का मुख्य कारण ही वाणी होता है। यह बिना हड्डी वाली जीभ दूसरों की हड्डियां तुड़वा देती है। अपनी वाणी से ही हम फूल बरसा सकते है। मुनिश्री ने कहा कि शरीर का घाव मिट जाता है लेकिन वचन का घाव मिटता नहीं है। हम मतलब से कम और बिना मतलब से ज्यादा बोलते हैं। आवश्यक हो तभी बोले, धीरे बोले, मीठा बोले, वाणी से अपनी पहचान बनाए। आज के दिन यह संकल्प करें कि बिना मतलब नहीं बोलेंगे। शब्दों का संयम करेंगे।


सत्संग सुनने से आती है जागरूकता


मुनिश्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में संत समागम की बड़ी महिमा है। सत्संग सुनने से लोगों में जागरूकता आती है। उन्होंने कहा कि गुरु को बांधना धर्म नहीं है। गुरु से बंधना धर्म है। साधु और भक्त सूरज एवं कमल के समान होते हैं।


धर्म सभा का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया


चातुर्मास समिति के प्रचार संयोजक सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज के सानिध्य में धर्मसभा का शुभारंभ आचार्यश्रीपुप्ष दंत सागर जी के चित्र के समक्ष समाजजनों ने दीप प्रज्वलित कर किया! मुनिश्री के मंगल प्रवचन प्रतिदिन आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह में आयोजित किए जाएंगे!।


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