स्वर्णरेखा है या द्रोपदी?

? ****** ग्वालियर । भारत में जल स्रोतों के साथ कैसा दुर्व्यवहार किया जाता है अगर ये देखना है तो आपको मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर आना चाहिए। हजारों साल का इतिहास साथ लेकर चलने वाले इस ऐतिहासिक शहर में युगों से एक नदी बहती थी,इसका नाम था स्वर्णरेखा। किसी नदी का नाम कैसे रखा जाता है इसकी कोई विधि या विधा हो तो मुझे नहीं मालूम,लेकिन हर नदी के नामकरण के पीछे कोई न कोई कहानी या किंवदंती जरूर प्रचलित होती है। स्वर्णरेखा के साथ भी एक किंवदंती है। कहते हैं की ग्वालियर के सिंधिया शासकों का एक हाथी एक बार जंजीर तोड़कर इस अनाम नदी में जा कूड़ा और जब वो हाथी कोई 18 किमी लम्बी इस नदी से बाहर निकला तो उसके पांवों में पड़ी लोहे की सांकल सोने की हो गय। राजा को जब इस चमत्कार का पता चला तो उसने इस नदी का नाम स्वर्णरेखा रख दिया। राजा कौन था इसका पता किसी को नहीं ह। किंवदंती जो ठहरी। बहरहाल इस स्वर्णरेखा को अब नदी नहीं नाला कहा जाता है। अब यही नाला सरकार और जनसेवकों के लिए कामधेनु बन चुका है। स्वर्णरेखा नाला किसकी सम्पत्ति है ,कोई नहीं जानत। कभी सिंचाई विभाग इसे अपना बताता है तो कभी नगर निगम...