13 मार्च को शनिश्चरी अमावश्या: ऐंती पर्वत पर लगेगा विशाल मेला

भगवान शनिदेव मंदिर का इतिहास


मुरैना 19 फरवरी 2021/13 मार्च को शनिश्चारी अमावश्या का महायोग है, इसदिन लोग पूजा, अनुष्ठान, दान पुष्य करके अपने कष्टो का निवारण करते है । शनिश्चारी अमावश्या पर मुरैना विकास खण्ड के ग्राम ऐंती पर विशाल मेला आयोजित होगा । विशाल मेला को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन व कलेक्टर श्री बी कार्तिकेयन ने व्यवस्थाओं मूर्तरूप देने के लिए सभी विभागों को जिम्मेदारियां सौप दी है । शनि का प्रभाव मानव जीवन में अच्छे से अच्छा तथा बुरे से बुरा देखने को मिलता है। उच्च का एवं स्वग्रही का शनि राज योग का कारक होता है। नीच का व शत्रु स्थान का शनि मनुष्य का अधोगति को ले जाता है। शनि के अनिष्ट फल में कर्जा एवं दरिद्रता मानव को ग्रसित करती है। जन्म पत्रिका के दशम एवं एकादश भाव का शनि शुभ फल कारक होता है। अन्य भावों में अशुभ फल कारक होता है।            

धरती के न्यायाधीश शनि 

 इस श्रृष्टि के संचालन में सूर्य, चद्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, राहू, केतु, शनि सहित 9 शक्तियां हैं जो मानव व प्राणी मात्र को उनके पूर्व कर्मानुसार भाग्य का निर्माण कर उसे सुख-दुख देकर शुद्ध करते हैं। अच्छे बुरे कर्मोें का फल देते हैं। इसमें 8 न्यायाधीश और एक सर्वोच्च न्यायाधीश है। सर्वोच्च न्यायाधीश पद पर शनि को नियुक्त किया गया है। भगवान शंकर ने यमराज को मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा तथा शनिदेव को धरती पर जीवों को उनके अनुचित कर्मों का दण्ड कार्य सौंपा है। अपने गुरू की आज्ञा को शिरोधार्य कर शनिदेव पृथ्वी वासियों को उनके कर्मानुसार दण्डित व पुरस्कृत करने का कार्य करते हैं।  

शनिदेव का परिचय 

 पिता- सूर्यदेव, माता- छाया (सुवर्णा), भाई- यमराज, बहन- यमुना, गुरू- भगवान शिवजी, रंग- श्याम (नीला), स्वभाव- गंभीर, त्यागी, तपस्वी, हठी, क्रोधी, शनि के अन्य नाम- कोणस्थल, पिंगल, बभ्रु, सौरी, शनैश्वर, कृष्णमंद, रौद्र, अंतक, यम, दोस्त- काल भेरव, बुध, राहू, हनुमान जी, अधिपती- रात, प्रिय दिन- शनिवार, तिथि- अमावस, प्रिय वस्तुऐं- काली वस्तुऐं, काला कपड़ा, काला तिल, तेल, गुड़, काली उड़द।   

शनि की उत्पत्ति

 धर्मग्रन्थों के अनुसार सूर्य की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्णन को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं है, तभी से शनि अपने पिता से शत्रुभाव रखता है। शनिदेव ने अपनी साधना, तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्यदेव की भांति शक्ति प्राप्त कीं। शिवजी के वरदान मांगने पर उन्होंने अपने माता के दुरूख, अपमान व प्रताडना के विषय में व्यक्त करते हुये कहा कि माता की इच्छा है कि मेरा पुत्र अपने पिता से अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने। इस पर भगवान शंकर ने उन्हें नवगृहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते हुये कहा कि मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे।   

शनि यंत्र व मंत्र

 ऊॅं शं शनैश्चराय नमः, ऊंॅ सूर्यपुत्रो दीर्धदेहो विशालाक्षः, शिवप्रियः, मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु में शनिः, ऊंॅ निलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजं। छाया मार्तण्डसंभूतं। तं नमामि शनैश्चरम। ऊॅं शमग्रिभिः, करच्छन्नः, स्तपतु सूर्यः, शंवातोवा त्वरय अपस्निग्धाः, ऊंॅ प्रां प्रीं प्रौं सः, शनैश्चराय नमः है। 

शनिदेव की तेल से तृप्ति

 हनुमान जी रामकथा के प्रेमी हैं। जहां पर रामकथा हो वहां वे सूक्ष्य रूप में अवश्य उपस्थित रहते हैं। एक बार हनुमानजी अपनी सुध-बुध खोये हुऐ हुए दशा में भक्तगणों के साथ रामकथा पर झूमते हुये शनिदेव ने देखा तो परीक्षा लेने की इच्छा से उन्होंने हनुमान जी से कहा कि मैं वीर और शक्तिशाली सूर्य का पुत्र व शिवभक्त हंूं। कायरता छोडकर निडर होकर मेरे साथ युद्ध करो, मैं तुम्हे युद्ध के लिये ललकारता हूं। हनुमानजी ने शनिदेव की ललकार को स्वीकार कर अपनी पूंछ बढ़ाई और अहंकार से भरे शनिदेव को उसमें कस लिया। जिससे शनिदेव पूरी तरह बेवस व असहाय हो गये। इसी समय हनुमान जी ने कहा कि हे शनिदेव मेरी रामसेतु की परिक्रमा का वक्त हो गया, इसके पूर्ण होने के बाद मैं अपनी चुनौती का सामना करने के लिये प्रस्तुत हो पाऊंगा। 

 इतना कहकर हनुमान जी दौडकर परिक्रमा करने लगे। पूछ से बंधे शनिदेव पत्थरों व शिलाखण्डों से रगड़ खाकर लहूलुहान होकर घायल हो गये। उनकी अंतर पुकार सुन भक्तों को सुख देने वाले हनुमान जी ने कहा कि मैं तुम्हे मुक्त कर दूंगा, पर मेरे भक्तों को दुरूख न पहुंचाने का वचन दो। शनिदेव ने वचन देते हुये उसे निभाने की प्रतिज्ञा भी की। शरीर की असहाय पीढ़ा से दुरूखी शनिदेव उसी दिन से तेल मांगने लगे और तेल दाता पर प्रशन्न होकर आशीर्वाद देने लगे।   

  भगवान शनिदेव की स्थापना के विषय में कई किवदंतियां कायम है। हालांकि पुरातत्व विभाग इसे त्रेतायुगीन मानता है। भगवान शनिदेव की प्रतिमा के विषय में ज्योतिषियों के अनुसार सर्वप्रथम किवदंति यह है कि त्रेतायुग मेें राजा दशरथ के राज्य में भगवान शनिदेव के प्रकोप से लगातार 12 वर्ष तक अकाल पड़ा। तब राजा दशरथ ने इस पर्वत पर भगवान शनि की तपस्या की। उस समय आसमान से एक उल्कापिण्ड गिरा जिससे यह प्रतिमा निर्मित हुई है। वहीं दूसरी किवदंति यह भी है कि लंका दहन के समय हनुमान जी द्वारा लंका में आग लगाई गई, लेकिन लंका जल नहीं रही थी, बल्कि उसका स्वर्ण और चमक गया। इससे चिंतित हनुमान जी ने दिव्य शक्ति से जब ज्ञात किया तो उन्हें पता चला कि लंका में शनिदेव हैं। हनुमान जी ने उन्हें खोज निकाला। रावण ने शनिदेव को अपने सिंहासन के पैरों तले दबा रखा था। हनुमान जी ने उन्हें अपने बुद्धचातुर्य से वहां से निकाला और लंका से जाने को कहा, लेकिन थोड़ी दूर तक चलने के बाद शनिदेव ने हनुमान जी से कहा कि दुर्बलता के कारण वह चल नहीं सकते और जब तक वह लंका में रहेंगे तब तक लंका का दहन नहीं हो पायेगा। इसलिये हनुमान जी उन्हें पूरे बेग से उत्तर दिशा की ओर फेंके। हनुमान जी ने भी ऐसा ही किया। हनुमान जी द्वारा फेंके गये शनिदेव इस पर्वत पर आकर गिरे, जिसे आज शनि पर्वत कहा जाता है, यहीं पर भगवान शनिदेव ने घोर तपस्या कर पुनरू शक्ति व बल प्राप्त किया। 

 इस विषय में एक अन्य कथा यह भी प्रचलित है कि रावण ने इसी पर्वत पर शनिदेव की तपस्या कर उन्हें अपने वश में कर लिया और लंका में ले गया। लंका में जब मेघनाथ का जन्म होने वाला था तब रावण ने शनिदेव से कहा कि वह अपने आंठवे घर में जाकर बैठ जायें, लेकिन शनिदेव ने अपना पैर सांतवे घर में रख दिया इससे शनि दो घरों के स्वामी हो गये। जन्म कुण्डली में सांतवे घर में शनिदेव के होने पर जातक की अकाल मृत्यु होती है। मेघनाथ के जन्म का चक्र देखकर रावण क्रोधित हो गया और शनिदेव को अपने सिंहासन के नीचे उस स्थान पर दबा दिया, जहां रावण पैर रखता था। 

 इन किवदंतियों के चलते भी पुरातत्व विभाग इस प्रतिमा को त्रेतायुगीन मानता है। हालांकि इस प्रतिमा की स्थापना महाराजा विक्रमादित्य द्वारा की गई। ऐसा पुरातत्व विभाग मानता है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार सिंधिया शासकों ने सन् 1808 में कराया था। 

 इस शनि पर्वत क्षेत्र से ही 18वीं सदी में सिंधिया शासकों द्वारा एक सिला ले जाई गई, यह सिला पहले अहमद नगर फिर वहां से शिगनापुर पहुंची और एक चबूतरे पर स्थापित हो गई। इस स्थान का नाम ही शनि शिगनापुर हो गया। बताया जाता है कि इस सिला का आधा भाग आज भी मुरैना के शनि मंदिर में रखा हुआ है।    

 मुरैना जिले के त्रेतायुगीन शनि मंदिर के चारों तरफ हजारों किलो मीटर दूर तक सरसों की होने वाली फसल को शनिदेव की ही कृपा माना जाता है। राजस्थान के धौलपुर, करौली, राजाखेड़ा, सरमथुरा, उत्तरप्रदेश के आगरा, इटावा तथा मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के चारों तरफ के क्षेत्र भिण्ड, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी में सरसों की फसल को प्रमुख रूप से किया जाता है। इस क्षेत्र को पीले सोने की खेती का क्षेत्र भी कहा जाता है। शनिवार के दिन शनि देवता कि पूजा की जाती है। कहा जाता है कि अगर उनकी पूजा सही तरीके से की जाए तो शनिदेव की असीम कृपा मिलने के साथ ग्रहों की दशा भी सुधरती है। शनि देव को मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी करने वाला देवता कहा जाता है। शनि जिस व्यक्ति पर प्रसन्न होते हैं दुख और शत्रु उसके पास भी नहीं फटकते।     


कोविड के विरूद्ध मास्क का उपयोग ही संजीवनी है

मुरैना 19 फरवरी 2021/प्रायः यह देखा गया है कि लॉकडाउन के दौरान आमजन कोरोना से संबंधित बचाव के व्यवहार अत्यंत सतर्कता पूर्वक अपना रहे थे, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद यह देखा जा रहा है कि लोगों में कोरोना से संबंधित सावधानियां जैसे कि - सामाजिक दूरी का पालन, मास्क लगाना तथा हाथ धोना अब उतनी गंभीरता से नहीं किया जा रहा। यदि लोग मास्क लगाने और सामाजिक दूरी जैसे व्यवहार का पालन करते हैं, तो कोरोना के प्रकरणों में काफी कमी ला सकते हैं।

      विशेषज्ञों की राय में यदि संक्रमित एवं असंक्रमित दोनों व्यक्तियों ने मास्क नहीं लगाया है एवं सामाजिक दूरी का पालन भी नहीं किया है तो संक्रमित होने की अधिक संभावना है, अर्थात वायरस संक्रमण का जोखिम अत्यंत उच्च है। इसी तरह संक्रमित व्यक्ति ने मास्क नहीं लगाया है एवं असंक्रमित व्यक्ति ने मास्क लगाया है तथा सामाजिक दूरी का पालन भी नहीं किया है तो भी संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है। संक्रमित व्यक्ति ने मास्क लगाया है एवं असंक्रमित व्यक्ति ने मास्क नहीं लगाया है तथा सामाजिक दूरी का पालन भी नहीं किया है तो भी संक्रमित होने की संभावना मध्मय होती है। संक्रमित एवं असंक्रमित दोनों व्यक्तियों ने मास्क लगाया है एवं सामाजिक दूरी का पालन भी नहीं किया है तो संक्रमित होने की संभावना न्यूनतम है। संक्रमित एवं असंक्रमित दोनों व्यक्तियों ने मास्क लगाया है एवं सामाजिक दूरी का पालन भी किया है, तो संक्रमित होने की संभावना अति न्यूनतम है।

      यद्यपि कोरोना का टीका आ चुका है, परंतु दूसरा डोज लगने के दो हफ्ते बाद ही प्रतिरोधक क्षमता विकसीत होती है। अभी आमजन का वैक्सीनेशन होना शेष है, हर्ड इम्युनिटी की भ्रांत धारणा से भी लापवाही बढ़ रही है और कोरोना के प्रकरण बढ़ते देखे जा रहे हैं, इसलिए मास्क का प्रयोग अब भी एक प्रभावी बचाव के साधन के रुप में कार्य कर रहा है। अतः आमजन से अनुरोध है कि कोविड के प्रारंभिक लक्षण जैसे सर्दी-खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ होने पर फीवर क्लीनिक में अपनी जॉच तुरंत करवाएं, स्वयं इलाज न करें, ऐसी स्थिति में सामाजिक दूरी का पालन करना एवं मास्क अनिवार्यतः लगाना इस व्यवहार को अपने दैनिक जीवन शैली का एक हिस्सा बनाना होगा।

’वृत्तिकर जमा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च’

मुरैना 19 फरवरी 2021/मध्यप्रदेश वृत्तिकर संशोधन अधिनियम 2018 के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के लिये वृत्तिकर जमा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2021 है। 

  जीएसटी से पंजीयत व्यवसायी, निजी विद्यालय, महाविद्यालय, कम्प्यूटर सेंटर, चिकित्सक, चिकित्सा व्यवसायी, सीए, बकील, बीमा अभिकर्ता, मदिरा दुकान संचालक, चिटफण्ड संचालित वाली संस्थायें या व्यक्ति सहकारी सोसायटी, ट्रांसपोर्टर, कोचिंग संस्थान, चिकित्सालय, जिमसेंटर, धर्मकांटा, होटल, लाज, विवाह, मंडप, टेंट, केवल आपरेटर, वीडियो पार्लर, ब्यूटी पार्लर, फाईनेंस, कम्पनी, क्लीनिक, लैब, पैथोलॉजी, नर्सिंग होम, क्योस्क सेंटर, फैशन डिजाईनर, बुटीक, टोल प्लाजा, पेट्रोल पम्प आदि 31 मार्च 2021 तक अनिवार्यतः वृत्तिकर जमा करायें । व्यापरियों से कहा गया है कि योजना का लाभ लेकर ब्याज एवं वसूली की कार्यवाही से बचा जा सके। 

विभागीय परीक्षा के लिये 24 फरवरी तक आवेदन मान्य होंगे

मुरैना 19 फरवरी 2021/लेखा प्रशिक्षण प्राप्त ग्वालियर एवं चंबल संभाग के शासकीय लिपिकवर्गीय कर्मचारियों के लिये विभागीय परीक्षा 2021 आयोजित होने जा रही है। इस परीक्षा में भाग लेने के इच्छुक कर्मचारी 24 फरवरी को सायंकाल 5.30 बजे तक मोतीमहल स्थित लेखा प्रशिक्षण शाला में अपने आवेदन जमा कर सकते हैं।

प्रदेश में अनुसूचित-जाति वर्ग के 1.53 लाख विद्यार्थियों को पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति

पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के रूप में वितरित की गई 310 करोड़ रूपए की राशि

मुरैना 19 फरवरी 2021/प्रदेश में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति महाविद्यालयीन योजना के अंतर्गत इस वर्ष एक लाख 53 हजार अनुसूचित-जाति वर्ग के विद्यार्थियों को 310 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का भुगतान किया जा चुका है। 

 प्रदेश में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का वितरण 4 समूह में किया जा रहा है। इनमें एम.बी.बी.एस., बी.ई., एम.बी.ए. आदि के लिये गैर-छात्रावासी के लिये 550 और छात्रावासी विद्यार्थियों के लिये 1500 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। अन्य 3 समूह में 530, 300 और 230 रुपये प्रतिमाह गैर-छात्रावासी विद्यार्थियों को तथा छात्रावासी विद्यार्थियों को 820, 570 और 380 रुपये प्रतिमाह की दर पर भुगतान किया जा रहा है। 

कोविड 19 वेक्सीनेशन में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर 6 लाख को पहला डोज

मुरैना 19 फरवरी 2021/लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चैधरी ने कहा है कि कोविड 19 वैक्सीनेशन के पहले चरण में अब तक कुल पंजीकृत के विरुद्ध 68.5 प्रतिशत स्वास्थ्य कार्यकर्ता और फ्रंट लाइन वर्कर को कोविड 19 वैक्सीन का पहला डोज देकर मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में अब तक 5 लाख 99 हजार स्वास्थ्य और फ्रंट लाइन वर्कर को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। 

 स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चैधरी ने बताया कि अगले दो दिन 18 और 19 फरवरी को फ्रंट लाइन वर्कर का वेक्सीनेशन लगना जारी है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का 20 फरवरी को माप अप राउंड होगा।

 स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चैधरी ने कहा की वेक्सीनेशन अभियान में स्वास्थ्य, नगर निगम, पुलिस, राजस्व और पंचायत विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों का उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद और विश्वास है कि आगे भी अभियान से जुड़े सभी अधिकारी-कर्मचारी इसी तरह पूरे मन से काम करेंगे और दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान के माध्यम से प्रदेश और देश को कोरोना मुक्त करने में योगदान देंगे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चैधरी ने बताया कि दूसरा डोज देने के लिये अगला चरण 22 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। इसमें पहला डोज लेने वाले शत-प्रतिशत स्वास्थ्य कार्यकर्ता और फ्रंट लाइन वर्कर को दूसरा डोज तय समय अवधि में लगाना सुनिश्चित करने की व्यवस्थाएँ की गई है।

विश्व सामाजिक न्याय दिवस 20 फरवरी को  

मुरैना 19 फरवरी 2021/ राज्य आनंद संस्थान से संबंधित चयनित अंतर्राष्ट्रीय, विश्व दिवसों का आयोजन प्रदेश स्तर पर किया जाता है। इसी कड़ी में 20 फरवरी, 2021 को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाना है। समस्त कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया है कि विश्व सामाजिक न्याय दिवस पर आयोजित किये जाने वाली गतिविधियों एवं कार्यक्रम कोविड-19 की गाईड लाईन का पालन करते हुए आयोजित करवाना सुनिश्चित करें। 

 विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर प्रदेश में आनंदकों द्वारा, सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कतिपय विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं, स्वैच्छिक संगठनों, समूहों इत्यादि के सहयोग से निम्नानुसार कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिनमें महिला, दिव्यांग, बाल एवं निःशक्त कल्याण हेतु शिक्षण, प्रशिक्षण, रोजगार, पुर्नवास कार्यक्रम, छात्रवृत्ति, शिक्षा, प्रोत्साहन, स्वैच्छिक एवं शासकीय संस्थाओं के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम, माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान हेतु वृद्धाश्रम जाना, उनके लिए वहां कुछ मनोरंजन संबंधी कार्यक्रम आयोजित करना, निरक्षर, निराश्रित एवं निर्धन व्यक्तियों के लिए स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर साक्षरता हेतु जागरूकता प्रयास करना, युवाओं को रोजगार हासिल करने हेतु मार्गदर्शन देना, काउंसलिंग आदि की व्यवस्था करना, सभी आनंदक मिलकर इस दिन को उत्सव के रूप में मनायें और नुक्कड़ नाटकों आदि के माध्यम से जागरूकता फैलाये। समाज सेवा के क्षेत्र में वरिष्ठ योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित तथा जरूरतमंदों को भोजन एवं सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता इत्यादि कार्य करना शामिल है। 

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