नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 14 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित

मुरैना। 16 साल की नाबालिग लड़की के मामले में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अम्बाह न्यायालय में *आरोपी मनोज पुत्र रामकेश माहौर* निवासी ग्राम खदरा खजूरी, थाना अम्बाह जिला मुरैना को 14 साल का सश्रम कारावास एवं 2000 रुपये के अर्थदंड से दंडित करने का फैसला सुनाया। उक्त मामले में अभियोजन की ओर से संचालन विशेष लोक अभियोजक *गिरजेश खत्री* द्वारा किया गया।


अभियोजन की मीडिया सेल प्रभारी डॉ. रश्मि वैभव शर्मा के बताये अनुसार थाना अम्बाह ग्राम क्षेत्र में दिनांक 08.07.2019 को शाम करीब 7 बजे पीड़िता शौच करने गांव के खेत में गई थी, जैसे ही शौच करके उठी तो उसी समय आरोपी मनोज ने उसका मुँह पकड़कर उसके साथ जबरन बुरा काम (बलात्कार) किया। उसी दौरान पीड़िता मां आ गई ।आरोपी मनोज ने पीड़िता की माँ को धक्का देकर जमीन पर पटक दिया। जिससे माँ को कोहनी में चोट आई और पीड़िता के चिल्लाने पर उसका भाई भी आ गया जिसे देखकर आरोपी मनोज ने कहा कि थाने पर रिपोर्ट की तो जान से खत्म कर दूँगा। घटना की रिपोर्ट थाना अम्बाह में पीड़िता द्वारा लेख कराई।

विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। न्यायालय में अभियोजन द्वारा साक्ष्य के दौरान पीड़िता व अन्य साक्षियों के कथन न्यायालय के अभिलेख पर कराये गये। इस प्रकरण में अभियोजन साक्षी डॉ. संजय माहौर का कथन न्यायालय में आरोपी मनोज की शारीरिक क्षमता के लिये कराया गया। लेकिन बाद में ज्ञात हुआ कि डॉ. संजय माहौर फ़र्जी तरीके से सिविल हॉस्पिटल अम्बाह में नौकरी करते पाया, जिसके खिलाफ थाना अम्बाह में रिपोर्ट दर्ज की गई। तत्पश्चात अभियोजन द्वारा सजकता दिखाते हुए माननीय न्यायालय को तथ्य व परिस्थितियों से अवगत कराते हुऐ पुनः आरोपी का मेडिकल कराने एवं सम्बंधित डॉक्टर के कथन कराने का न्यायालय से निवेदन किया। अभियोजन का निवेदन स्वीकार करते हुऐ आरोपी का पुनः मेडिकल कराकर संबंधित डॉक्टर के कथन लिये गये।

 इस प्रकार अतिंम बहस के दौरान अभियोजन ने न्यायदृष्टांत सहित अन्य सुसंगत तथ्यों से आरोपी मनोज माहौर के विरुद्ध मामला साबित किया। 

माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनकर अभियोजन के तर्क को प्रभावी मानकर आरोपी मनोज माहौर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 व लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 3/4 में दोषी पाये जाने पर गुरूत्तर दंड की मात्रा से धारा 3/4 पॉक्सो अधिनियम में 14 साल के सश्रम कारावास व कुल 2000 रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।

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