अगर अपनी कामनाओं को पूरा करना है तो आपके कर्मों में ईमानदारी की आवश्यकता है: वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज
श्री धाम वृंदावन के वैजयंती आश्रम से वैष्णव आचार्य श्री पुंडरीक जी महाराज जी कहते हैं :हम दो प्रकार का जीवन जीते हैं एक सोशल लाइफ एक स्पिरिचुअल लाइफ। अपनी शोसल लाइफ और स्पिरिचुअल लाइफ दोनों में त्याग काम करता है। शोसल लाइफ में expectations का त्याग होना चाहिए और स्पिरिचुअल लाइफ में डिजायर्स का त्याग होना चाहिए।
अपनी सोशल लाइफ को अगर खुशहाल बनाना है तो आशा को छोड़कर देखिए। समस्या ही आशा देती है। अगर आशा रखनी भी हो तो उतनी रखिए जितनी सामने वाला पूरी कर सकता है। आशा का नियन्त्रण आपके व्यवहारिक जीवन को स्वस्थ्य करता है।
और अगर अपनी स्पिरिचुअल लाइफ को अच्छा रखना हो तो यहाँ कामनाओं का परित्याग कर दीजिए। भगवान की कृपा कामनाओं की पूर्ति में नहीं होती भगवान कि कृपा कामनाओं की निवृत्ति में होती है।
श्रीदादागुरुदेव कहा करते- जिसमें डिमाण्ड नहीं होती वही डायमण्ड हो जाता है। कामनाओं के ही तो चक्कर में धर्म में पाखण्ड का उदय हुआ है। ये कर लीजिए वो हो जाएगा ये कर लीजिए ये हो जाएगा।।
अगर अपनी कामनाओं को पूरा करना है तो आपके कर्मों में ईमानदारी की आवश्यकता है। हम धन्यवाद और प्रार्थना के लिए पूजा करें तो पूजा में सुख मिलेगा। कामना आ गयी है तो मेहनत करो और अगर मेहनत उतनी नहीं कर पा रहे हो तो कामना को सीमित कर लो। कोई खुशी कर नहीं सकता खुश खुद हुआ जा सकता है। ये दो चीजें हैं।
।। परमाराध्य पूज्य श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।