जिसमें पेशेंस नहीं होता वही पेशेंट हो जाता है, धैर्य रखिए : वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।


श्री धाम बृंदावन के वैजयंती आश्रम से 

वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज श्री कहते हैं कि हम अपने जीवन में किसी भी घटना का बहुत जल्दी निर्णय निकाल लेते हैं। और यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। जो शास्त्र ने धैर्य नाम का प्रयोग किया है कि धैर्य रखिए वो उसी समय के लिए किया है। कुछ विचार करिए। दादा गुरुदेव कहा करते- जिसमें पेशेंस नहीं होता वही पेशेंट हो जाता है। धैर्य रखिए। 

राम जी का एक गुण धैर्य भी है। हमारे साथ ऐसा हो जाता है जब हम बहुत जल्दी निर्णय निकाल लेते हैं। धैर्य नाम की चीज का प्रयोग निर्णय तक पहुँचने पर ही होनी चाहिए। पेशेंस डिसीजन से पहले चाहिए डिसीजन के बाद तो खेल खतम हो गया। ऐसे ही 

हम सबने केकैयी की स्थिति का विचार नहीं किया। माता केकैयी के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता। माता केकैयी की कृपा से रामायण का निर्माण हुआ है। ये बहुत पराक्रमी हैं। बहुत जल्दी कर गये हम माता केकैयी को समझने में। उनके प्रति conclusion निकालने में बहुत जल्दी कर गए। बड़े-बड़े कवियों ने भी बड़े-बड़े साहित्याचार्यों ने भी इस बात पर पूर्ण अपनी तूलिका को सार्थक नहीं किया। 

भारत में बहुत जल्दी कर दी केकैयी का निर्णय निकालने की। भगवती केकैयी के स्वरूप को आज तक ईश्वर भी न समझ सका। लोग कहते हैं केकैयी ने भरत के लिए राम को छोड़ दिया मैं कहता हूँ केकैयी ने राम के लिए भरत को छोड़ दिया।

केकैयी ने दो काम किए हैं एक तरफ राम के प्रेम में नाची हैं और दूसरी तरफ अपने जीवन में स्वार्थ के सर्प को काट कर फेंक दिया है समाज में राम की प्रतिष्ठा के लिए। अपनी यश अपनी कीर्ति प्रतिष्ठा रूपी सर्प को काटकर फेंक दिया है केकैयी माँ ने राम की प्रतिष्ठा के लिए राम के प्रेम के लिए अपयश के विष को पचा गयी। 

आज तक लोगों की उलाहनाएं सहती रहीं पर उसके अंतरंग राम के प्रेम को कोई समझ न सका। 

।। परमाराध्य पूज्य श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।

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