भारतीय होने का सबसे बड़ा खुराक है कि उसमें आध्यात्म है:वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज
श्रीधाम बृंदावन के वेजयंती आश्रम से वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज श्री कहते हैं :-
जन्मभूमि को भी जननी के समान समझा गया है। इसलिए अगर आपके बच्चे का जन्म भारत में हुआ है तो वह भारत की प्रॉपर्टी है आप की प्रॉपर्टी नहीं है। जैसे यहाँ का पेड़ भारत का है, यहाँ का भालू भारत का है, यहाँ का शेर हो तो गवर्नमेंट रेगुलेशन लगाती है कि ये इंडियन लायन है।
यह भारतीय किस वजह से है क्योंकि उसने भारत की भूमि पर जन्म लिया है। मानव इस चीज को रेगुलेट करते हैं इतना बड़ा दुर्भाग्य है कि इसे अपने ऊपर इंपोज नहीं करते। अरे ! जिस प्रकार आपके घर को संभालना उसका दायित्व है उसी प्रकार अगर उसने भारत की भूमि पर जन्म लिया है तो भारत को भी संभालना उसका दायित्व है। वह इंडिया की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है। आप उसका भारत की प्रॉपर्टी की तरह संचालन करें।
यह बहुत संवेदनशील बात है।
ये यहाँ का पीपल है, ये यहाँ का पैंथर है, ये यहाँ का लायन है। हम पशुओं पर इंडियन का लेबल लगा देते हैं क्योंकि यह भारत में पैदा हुए। पेड़ों पर लगा देते हैं समुद्र को भी इंडियन बना लेते हैं क्योंकि हमारी सीमा में होकर गुजरता है और उनको रेगुलेट करते हैं। उनका हवा पानी निश्चित करते हैं पर कितना बड़ा दुर्भाग्य है यह विचार अपने मानव के प्रति क्यों नहीं आता ? ये शर्मा है, ये गुप्ता है, ये सिंह है, ये अरोरा है,ये अग्रवाल है। अच्छी बात है पर मन में कभी यह ख्याल क्यों नहीं आता कि यह भारतीय है यह भारत का निवासी है।
भारतीय होने का सबसे बड़ा खुराक है कि उसमें आध्यात्म है। उसे केवल पीपल देखने की नजर नहीं है ये झाड़ है, ये फूल है, ये लीची लग रही है यह नहीं यह तो अमेरिकन भी देख सकते हैं यह स्त्री बैठी है ये पुरुष बैठा है यह तो पूरी दुनिया देख सकती है पर भारत यह भी देख सकता है कि ये पीपल नहीं है परमात्मा बैठा है।
यह मात्र पुरुष नहीं है गोविंद बैठे हैं।
अपने मातृभूमि के प्रति इसके विकास के प्रति विचार होना बहुत जरूरी है।
।। परमाराध्य पूज्य श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।