एतिहासिक किसान आंदोलन की जीत ने, देश को भी बचाया है: बादल
मुरैना/कैलारस/सबलगढ़। ऐतिहासिक किसान आंदोलन की जीत के बाद, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज ने मुरैना जिले के तहसील स्तरों पर किसान सभा के कार्यक्रमोंमें भागीदारी कर किसान कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया।कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए बादल सरोज ने कहा कि एक बर्ष से ज्यादा समय तक चला किसान आंदोलन आजादी के बाद का ऐतिहासिक किसान आंदोलन है। इसमें 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए भारी दमन का सामना करने के बाद भी किसान पीछे नहीं हटे अंततः तानाशाह मोदी सरकार को झुकना पड़ा। तीनों कृषि विरोधी काले कानून वापस हुए। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने, मुकदमे वापस लेने, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार करने, बिजली बिल वापस लेने सहित अन्य मुद्दों पर आन्दोलन जारी है। आगामी रणनीति बनाने के लिए 12 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग होगी। जिसमें आगामी रणनीति बनाई जाएगी। इस आंदोलन ने केवल कृषि कानूनों को वापस नहीं कराया है बल्कि देश को भी बचाया भी है। यह आंदोलन साम्राज्यवाद पर कड़ा प्रहार है। सरोज ने आंदोलन की जीत के लिए बधाई देते हुए किसानों को संगठित करने और आगामी दिनों में आंदोलन तीव्र करने का आह्वान किया। मीटिंग को किसान नेता अखिलेश यादव, मध्य प्रदेश किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक तिवारी, गयाराम सिंह धाकड़, जिला महासचिव मुरारी लाल धाकड़ ने संबोधित किया। सबलगढ़ में कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व पार्षद आदिराम आर्य तथा कैलारस में ओमप्रकाश श्रीवास ने की।
मुरैना के कार्यक्रम में मुख्य रूप से जे के पिप्पल, श्री कृष्ण यादव, रामनिवास शर्मा, अशोक कुमार, राजेंद्र सिंह ,हरिसिंह माहौर, रामखिलाड़ी माहौर आदि कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे।
मीटिंग्स में किसान आंदोलन की जीत का जश्न भी मनाया गया तथा आगे की रणनीति भी बनाई गई । खासतौर से चंबल क्षेत्र में जमीन के अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार की नीति की आलोचना करते हुए उजाडे जा रहे किसानों के पुनर्वास और उन्हें जमीन देने के मामले में भी विचार विमर्श कर योजना तैयार की गई।