आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक की मनमानी: चुनाव के नाम पर व्यस्थ, नही बैठते हैं कार्यलय में
आचार संहिता लगने से पहले छात्रों एवं आमजन को गुमराह करने में माहिर रहे जिला संयोजक पालीवाल
आदिम जाति कल्याण विभाग में सड़कों के नाम पर बड़ा घोटाला
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक टॉयलेट के नाम पर हो जाते हैं गायब (रफूचक्कर)
जिला संयोजक श्री पालीवाल प्रतिमाह लगाते हैं छात्रावासों के चक्कर
जिले भर के छात्रावासों में मनमाने तरीके से कर देते हैं पोस्टिंग
जिले भर में छात्रावासों के लिए आय खाद्यान के पैसे में से लिया मोटा कमीशन
दैनिक बसैया मां न्यूज समाचार
"एपिसोड -1" "विशेष रिपोर्ट"
मुरैना, शैलेंद्र श्रीवास एडीटर। आदिम जाति कल्याण विभाग में कई वर्षों से जमे बैठे जिला संयोजक इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए है, चुनाव के नाम पर वह न ही तो कलेक्ट्रेट कार्यालय में मिलते हैं और न ही पुराने कलेक्ट्रेट में मिलते हैं। नाम न छापने की शर्त पर बताया कि साहब चुनाव ड्यूटी में लगे हुए हैं l
आपको बता दें कि कई वर्षों से आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक के पद पर बैठे मुकेश पालीवाल आदिम जाति कल्याण विभाग मुरैना जिले की समस्त छात्रावास से जुड़े अधीक्षकों एवं छात्रों को गुमराह करने में लगे हुए हैं वह काफी दिनों से नए कलेक्टर कार्यालय में कार्यालय मौजूद होने के बावजूद हमेशा गुमराह करने के नाम पर पुराने कलेक्ट कलेक्ट्रेट कार्यालय में आकर बैठ जाते हैं। बाथरूम के नाम पर पत्रकारों को भी गुमराह करके पतली गली (रफूचक्कर) से निकल जाते हैं यह फार्मूला वह मुरैना जिले में ही नहीं बल्कि इससे पहले जहां पोस्टिंग थी वह भी अपना चुके हैं। यह पहले से बदनाम है कि अधिकारी काम के नाम पर बड़ी हरामखोरी का थप्पा अपने माथे पर लगाकर घूमते हैं आदिम जाति कल्याण विभाग में समस्त अधीक्षक अपनी परेशानी का गुणगान नहीं करते क्योंकि कहते हैं कि अगर पत्रकारों को हमने अपने छात्रावास की कोई बात बता दी तो साहब हमारी हर फाइल रोक देंगे हमारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। वही आदिम जाति कल्याण विभाग से मिलने वाली ऐसी छात्रों को योजनाएं आदिम जाति कल्याण विभाग से निकलने वाले विभागीय कार्य बिना जिला संयोजक पालीवाल नहीं होते हैं वह मोटा कमीशन लेने के बाद इन फाइलों को साइन करते हैं।
आपको बता दें कि आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा ट्रावल क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कार्य कराया गया था काफी धांधली हुई है वहीं छात्राओं के लिए आई राशि को भी वह कमीशन के नाम पर ही समस्त छात्रावास के खाते में भेजते हैं, वह श्री संयोजक पुरानी गाड़ी से चलते जरूर है, लेकिन यह सब दिखावा है क्योंकि डिपार्टमेंट में पुरानी गाड़ी से चलना विभाग के किसी कर्मचारी को ऐसा ना लगे कि यह साहब कोई मोटी या कमीशन खोरी का हिस्सा है।
आपको बता दें कि पुरानी गाड़ी से आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी चलते जरूर है लेकिन वह गाड़ी कहीं ना कहीं किसी न किसी छात्रावास के बाहर आपको देखने के लिए मिल जाएगी कारण यह है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक प्रदेश से आई धनराशि को अगुवाई करने के लिए प्रत्येक जिला छात्रावास व तहसीलों में प्रतिमाह चक्कर काटते हैं ज़िला कार्यालय के कर्मचारियों से बात करने पर कहते हैं कि साहब विजिट पर है। लेकिन असली कारण कारण यह है कि वे कमीशन खोरी करने से बिल्कुल पीछे नहीं हटते हैं।
आदिम जाति कल्याण विभाग में सड़कों के नाम पर बड़ा घोटाला
यह बताना जरूरी होगा कि आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा दलित एवं पिछड़े क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा अलग से मत जारी कर आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा सड़क मेंटेनेंस मरम्मत के लिए राशि दी जाती है वह राशि आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक के द्वारा टेंडर के माध्यम से निर्माण कार्य कराया जाता है लेकिन इन महाशय ने जो भी कुछ कराया है वह बिना कमीशन खोरी के नहीं किया है नगर निगम के कई वार्डों में आदिम जाति कल्याण विभाग से सड़कों का निर्माण कराया है जी की ना तो गुणवत्ता सही है और ना ही निर्माण कार्य पूरी कमीशन खोरी के साथ-साथ सड़को का बुरा हाल है।
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक टॉयलेट के नाम पर हो जाते हैं गायब(रफूचक्कर)
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक बाथरूम के नाम पर कर्मचारी मीडिया व छात्रावास के अध्यक्षों को सहित आमजन को भी बेवकूफ बनाकर गायब हो जाते हैं मौके से भाग जाना इनकी फितरत बन चुकी है या काफी समय से मुरैना जिले में पदस्थ हैं एवं यहां की बॉडी लैंग्वेज पहचानने के बाद यह समझ चुके हैं कि यह के लोगों को कैसे ठीक करना है जैसे ही इनसे कोई मिलने आता है वैसे यह बेवकूफ बना कर भाग जाते हैं मीडिया के साथ-साथ इनसे आमजन वा योजना से संबंधित सभी छात्र एवं छात्रा परेशान है छात्रावास के अधीक्षक अपनी विभागीय कागजी कार्रवाई के कारण जिला संयोजक से परेशान है लेकिन वह मुंह नहीं खोलते हैं।
जिला संयोजक श्री पालीवाल प्रतिमाह लगाते हैं छात्रावासों के चक्कर
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक प्रतिमाह जिले के समस्त छात्रावासों के चक्कर काटते हैं एवं उनसे हर महीने धन की अगुवाई करते हैं वही जो छात्रावास अधीक्षक उनकी सेवा नहीं करता है उसकी फाइलें जिला कार्यालय में रखी मिलती है यह सूचना मीडिया को जिला संयोजक से मिलने गए संवाददाता ने दबी जुबान से मीडिया कर्मी को बताया कि हम बहुत दूर से आए हैं और कलेक्ट्रेट में साहब का पता नहीं है फोन लगाने पर वह फोन रिसीव नहीं करते हैं कहते हैं मैं मीटिंग में व्यस्त हूं।
जिले भर में छात्रावासों के लिए आय खाद्यान के पैसे में से लिया मोटा कमीशन
आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक ने अप्रैल माह में मध्य प्रदेश शासन आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रदेश संचालनालय द्वारा मुरैना जिले के समस्त छात्रावासों को डेढ़ डेढ़ लाख रुपए की राशि जारी की थी जिले के समस्त छात्रावास से मुरैना जिले के संयोजक श्री पालीवाल प्रत्येक छात्रावास से मनमानी वसूली की है यह बात अभी अनुभव में आई है कि छात्रावास अधीक्षक अपनी दबी जुबान से नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि साहब का विरोध कौन कर सकता है जब भी आते हैं सेवा करनी पड़ती है।
जिले भर के छात्रावासों में मनमाने तरीके से कर देते हैं पोस्टिंग
आदिम जाति कल्याण विभाग की जिला संयोजक श्री पालीवाल के द्वारा मुरैना जिले में पदस्थ हुए काफी समय होने के बावजूद भी मुरैना जिले की नस नस से वाकिफ है वही नेता नगरी में भी उन्होंने अच्छी पकड़ बना ली है जिले के अंदर जितने भी छात्रावास संचालित हैं उनमें किस की पोस्टिंग कहां करनी है यह उनके बाएं हाथ का खेल है जिस अधीक्षक को जो छात्रावास अच्छा लगता है वह किसी नेता का लेटर मंगा कर एक बहाना लेकर उसकी पोस्टिंग अन्य जगह कर देते हैं कहते हैं जहां जगह चाहिए मुझे बताइए मैं आपकी पोस्टिंग करता हूं या पोस्टिंग नेता के लेटर पैड लगाकर एक दिखावा नहीं बल्कि बड़े नजर आने का नतीजा है जो गुप्त में किया जाता है।