व्यक्तित्व निर्माण की अहम कड़ी है विचार: लोकेन्द्र पाराशर
अच्छाइयों को बढ़ाने और बुराइयों को मिटाने में अग्रणी भूमिका निभाएं पत्रकार
मुरैना: देवर्षि नारद की जयंती के उपलक्ष्य में सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित विचार प्रवाह कार्यक्रम का आयोजन देवर्षि नारद जयंती आयोजन समिति द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वदेश के पूर्व संपादक एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर , विषय प्रवर्तक विशिष्ट अतिथि समाज सेवी एवं मध्य प्रदेश राज्य आनंद संस्थान के मास्टर ट्रेनर और मोटीवेटर डॉ सुधीर आचार्य और अध्यक्षता साहित्यकार सीताराम बघेल मंचासीन थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ देवर्षि नारद जी और सरस्वती जी के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण कर हुआ। अतिथि परिचय कराते हुए कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की गई। देवर्षि नारद जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए डॉ सुधीर आचार्य ने कहा कि नारद जी ब्रह्मांड के प्रथम पत्रकार इस दृष्टि से हैं कि वह संसार की समस्त सूचनाओं का संग्रह कर देवलोक तक पहुंचाते हैं। वह लोकमंगल की भावना से सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं अच्छाई को बढ़ाने और बुराई को मिटाने मैं अपना योग देते हैं। हम पत्रकारों को भी उनके इस गुण का अनुसरण करना चाहिए और अच्छाई को बढ़ाने एवं बुराइयों कुरीतियों को मिटाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए लोकेंद्र पाराशर ने पत्रकारों की संघर्ष में जीवन शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में भी सम समान और समरसता के लिए कार्य करना इतना सरल नहीं है लेकिन इसके बावजूद इस दिशा में मीडिया और पत्रकारों से सर्वाधिक उम्मीद और अपेक्षा है। उन्होंने वर्तमान में बढ़ रही नकारात्मकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अधिकांश सभी विषयों में दो विचारधाराएं कार्य करती हैं एक सकारात्मक और दूसरी नकारात्मक। यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम किस विचारधारा के साथ आगे बढ़ते हैं हम सकारात्मक विचारधारा को पकड़ते हैं और उसके साथ चलते हैं तो समाज में खुशहाली बड़ती है और नकारात्मक विचारधारा को पकड़ते हैं उसे बढ़ाते हैं फैलाते हैं तो समाज में अनेक विकृतियां जन्म लेती हैं। लोकेंद्र पाराशर ने विचारधारा को जानने समझने और स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाने के लिए पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि वह समय निकालकर स्वाध्याय अवश्य करें विभिन्न विषयों की जानकारी उन्हें समाज को जागरूक और समृद्ध बनाने में सहयोग करेंगीं। उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, ज्योतिबा फुले, अथवा परशुराम और दीनदयाल उपाध्याय जैसे व्यक्तित्व के बारे में बहुत से भ्रम समाजों में आज भी देखने सुनने जानने को मिलते हैं इस दिशा में लोगों को सही जानकारी देना आवश्यक है। विद्वान किसी भी समय में पैदा हुए हों, वह किसी भी जाति धर्म के हो लेकिन वह हमेशा अपनी विद्वता और समरसता से समाज में सर्वोच्च स्थान पाते रहे हैं। इसलिए संकीर्णताओं से ऊपर उठकर महापुरुषों और भारतीय संस्कृति का समग्र अवलोकन करके हम बुराइयों से स्वयं को और समाज को मुक्त कर सकते हैं इस भूमिका में भी पत्रकार स्वयं को उपस्थित करें। अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्यकार सीताराम बघेल ने अपनी छंद रचनाओं से लोकमंगल के संदेश प्रसारित किए। कार्यक्रम संयोजक राघवेंद्र सिंह तोमर ने आयोजन से की गई अपेक्षाओं का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन श्याम मोहन डण्डौतिया एवं आभार राजबीर ने किया। कार्यक्रम में अनेक साहित्यकार गणमान्य नागरिक पत्रकार मुख्य रूप से उपस्थित रहे।