लोगों को निष्पाप बनाते हैं राजा और आचार्य




मुरैना से शैलेंद्र श्रीवास एडिटर व नरसिंहपुर झोंतेश्वर से दीपक सराठे की रिपोर्ट ।

राजा और आचार्य दोनों का कार्य एक जैसा है। दोनों ही लोगों को निष्पाप बनाते है। इसी कारण इन दोनों की निन्दा न करने का विधान हमारे धर्मशास्त्र बताते हैं।

उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती '1008' ने चातुर्मास्य प्रवचन के अन्तर्गत कही।

उन्होंने कहा कि जो लोग अन्याय और अत्याचार करते हैं राजा उनको पकड़कर दण्ड देकर शुद्ध बनाते हैं और आचार्य के पास लोग स्वयं से जाकर अपने पापों को बताते हैं तो आचार्य उनको प्रायश्चित्त बताकर शुद्ध बना देते हैं। यदि ये व्यवस्था न होती तो लोग आत्मग्लानि में ही पडे रहते। लोगों को पुनः सहज बनाने के लिए आचार्य का यह कार्य भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार यदि साबुन और झाड़ू आदि सफाई करने की वस्तुएं संसार में न हों तो गन्दगी फैलती जाती है उसी प्रकार यदि आचार्य न हों तो लोगों का सहज हो पाना मुश्किल होगा।

पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व दोपहर3:30 पर

परम पूज्य शङ्कराचार्य जी  महाराज भागवत कथा पंडाल पर पहुंचे जहाँ पर संस्कृत विद्या पीठ गुरुकुल एवं बनारस में अध्ययनरत छात्रों के द्वारा पूज्य शंकराचार्य जी महाराज का हर हर महादेव एवं जय गुरुदेव के जयघोष के साथ स्वागत किया पूज्य महाराजा श्री, ने मंच पर पहुंचते ही, सर्वप्रथम ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के, तैल चित्र पर पूजन अर्चन किया उसके उपरांत वह व्यास पीठ पर आसीन हुए जहां पर आज श्री मद भागवत कथा के यजमान रहे राजकुमार जी  शास्त्री, श्री मति हरिभक्ति तिवारी,देव कुमार तिवारी, (झोतेश्वर) रहे जिन्होने पादुका पूजन कर व्यासपीठ का पूजन किया और शंकराचार्य जी का आशीर्वाद लिया वही डॉ शंकर सराठे द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई वही है, ब्रह्ऋषि गौतम जी (वाराणसी)के द्वारा संस्कृत गीता का पाठ किया गया

मंच पर प्रमुख रूप से, शंकराचार्य महाराज की निजी सचिव चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष  *ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी, ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री जी,  गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री जी, दंडी स्वामी श्री अमरिसानन्द जी महाराज,पं,राजकुमार तिवारी, ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप जी,ब्रह्मचारी सर्वभूतानंद जी,आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संयोजन *श्री अरविन्द मिश्र* एवं संचालन *ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द जी ने किया, परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदर पांडे* ।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रम्हचारी विमलानंद जी, पंडित आनंद तिवारी सोहन तिवारी पं सुनील शर्मा माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारी,दीपक शुक्ला,अमित तिवारी

 आशीष तिवारी केजरीवाल जी,सोनेलाल पटैल,, के पी गर्ग,भगवान दास पटैल,राम सजीवन शुक्ला जी धीरज पटेल, गुरई ,जगदीश पटेल,राधेश्याम पटैल,मूलचन्द साहू ,कल्याण राजपूत,पर्व सरपंच टावल श्री पाल,बद्री चौकसे,नारायण गुप्ता ,जगदीश तिवारी,अरविंद पटैल, अजय विश्कर्मा,रामकुमार तिवारी,सत्येंद्र मेहरा,कपिल नायक सहित  श्री मद भागवत पुराण का रस पान करने बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही सभी ने कथा का रसपान कर अपने मानव जीवन को धन्य बनाया भागवत भगवान की कथा आरती के उपरांत महाभोग प्रसाद का वितरण किया गया।

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